समुद्र मंथन और भगवान शिव का विषपान – सावन माह में पूजा का गूढ़ रहस्य

सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद पावन और विशेष माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सावन में ही शिव जी की पूजा को सबसे अधिक महत्व क्यों दिया जाता है? इसके पीछे एक अद्भुत और गहरी पौराणिक कथा छिपी है –

समुद्र मंथन और विष पान की घटना।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया था। मंथन के दौरान सबसे पहले जो वस्तु बाहर आई, वह थी कालकूट विष – इतना प्रचंड और घातक कि उसकी ज्वाला से पूरा ब्रह्मांड जलने लगा।

Advertisement

समुद्र मंथन की एक दृश्य

यह देख कर सभी देवता भयभीत हो गए और उन्होंने भगवान शिव से सहायता की प्रार्थना की। तभी महादेव ने सृष्टि के रक्षा के लिए वह विष स्वयं पी लिया ताकि सृष्टि की रक्षा हो सके।भगवान शिव ने वह विष अपने कंठ में रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे “नीलकंठ” के नाम से प्रसिद्ध हुए। परन्तु विष के कारण भगवान शंकर का शरीर तपने लगा जिससे सभी देवताओं ने मिलकर शंकर जी पर निरंतर जल चढ़ाने लगे ।

✨ माना जाता है कि यह घटना सावन मास में ही घटी थी, इसलिए इस महीने में शिवजी पर गंगाजल और शीतल जल चढ़ाना अत्यंत पुण्य कारी और शांतिदायक माना गया है।

2. 🌺 माता पार्वती का तप –

सावन में सच्चे प्रेम और आस्था की सबसे सुंदर कथा सावन का महीना केवल भगवान शिव का ही नहीं, बल्कि माता पार्वती की भक्ति और तपस्या का भी प्रतीक है।

यह वही पावन समय है जब मां पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए कठोर तप किया था। उनकी यह साधना न केवल एक स्त्री की आस्था को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि सच्चा प्रेम कभी अधूरा नहीं रहता।

🔱 पौराणिक कथा:

पार्वती जी ने बचपन से ही शिव जी को अपने पति रूप में स्वीकार कर लिया था।लेकिन शिव जी तपस्वी थे, वैरागी थे – उन्हें सांसारिक जीवन में कोई रुचि नहीं थी।तब भी माता पार्वती ने हार नहीं मानी।उन्होंने गहन जंगलों में जाकर वर्षों तक तपस्या की।धूप, बारिश, ठंडी रातें – सब कुछ सहा, पर आस्था नहीं डगमगाई।उन्होंने सूखे पत्ते खाकर, फिर निराहार रहकर अपने शरीर को तपाया, लेकिन मन को शिवमय बनाए रखा।आखिरकार, उनकी यह भक्ति और तप देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया।इसी महान तपस्या और विवाह की स्मृति में, सावन के महीने में मां पार्वती और शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है।🌿 क्यों विशेष है ये कथा आज के युग में?यह प्रेम सिर्फ आकर्षण नहीं, आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है।यह हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम तर्क नहीं, तपस्या मांगता है।यह कथा प्रेरणा देती है कि जब इच्छाएं श्रद्धा और संयम से जुड़ती हैं, तो सृष्टि भी उन्हें पूर्ण करने लगती है।🌸 श्रावण में व्रत क्यों करती हैं कुंवारी कन्याएं?श्रद्धा से माना जाता है कि जो कन्याएं सावन सोमवार को माता पार्वती की तरह श्रद्धा और आस्था से व्रत रखती हैं, उन्हें भी जीवन में शिव जैसा आदर्श जीवनसाथी प्राप्त होता है।🙏 यह सिर्फ व्रत नहीं, आत्मिक शुद्धि और प्रेम की परीक्षा है।

“ॐ पार्वती पतये नमः।हर हर महादेव।”

Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use
Advertisement