दुर्गा चालीसा

सनातन धर्म में माता दुर्गा को आदिशक्ति और जगत की जननी माना गया है। वे ही सृष्टि की रचना, पालन और संहार की शक्ति स्वरूपा हैं। शेर पर आरूढ़ माँ दुर्गा अपने भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं और उन्हें साहस, बल तथा ज्ञान प्रदान करती हैं।

दुर्गा चालीसा माता की महिमा का एक अत्यंत लोकप्रिय स्तुतिगान है, जिसमें चालीस चौपाइयों और दोहों के माध्यम से देवी की शक्ति, स्वरूप और कृपा का वर्णन किया गया है। इसका नियमित पाठ करने से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि, निर्भयता और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।

नवरात्रि के पावन दिनों में विशेष रूप से तथा सामान्य समय में भी जो भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं, उनकी सभी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में मंगलकारी परिणाम प्राप्त होते हैं।

दुर्गा पूजा 2024 स्थान – कोलकाता पश्चिम बंगाल

॥ दोहा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निर्बाण करणी जय जय अम्बे ।
सुर नर मुनि जन सुखदां अम्बे ॥

॥ चौपाई ॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

तुम ही हो जगदम्बा, तुम्हीं हो भवानी ।
शिव भक्ति प्रदायिनी, सुख समानी ॥

चन्द्रनिबद्ध मस्तक, मलत जोति छबि ।
सोहत तुम्हारी छवि, शशि लखि लाजति ॥

मंगल रूप निरंजन, सुख दाता ।
सतगुण रूप निराकार भव खंडन ॥

देवी प्रकट भई कल्याणी ।
जय जगदम्बे जय जग कल्याणी ॥

चौंसठ योगिनी गावत नाचा ।
भैरव भूत गणेश सिर नाचा ॥

सिंह विराजत तुम्हरी सवारी ।
करत सदा तुम संत हमारी ॥

कर में खड्ग खप्पर धारिनि ।
जय जय अंबे जग विख्यातिनि ॥

जो भी जन तुमको ध्यावत ।
निज जीवन सुख सम्पत्ति पावत ॥

तुम बिन यज्ञ न होइ अपारा ।
तुम बिन कोई न पावे निवारा ॥

भक्त तुम्हारे जो गुण गावत ।
दुःख दरिद्र निकट न आवत ॥

ध्यान तुम्हारा जो नर कोई लावे ।
ताके कष्ट निकट न आवे ॥

जय जय जय दुर्गे भवानी ।
जय जगदम्बे जय जग कल्याणी ॥

॥ दोहा ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावे ।
सब सुख भोग परमपद पावे ॥
देवीदास शरण निज जानी ।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

Advertisement

Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use
Advertisement