माँ काली की आरती

भूमिका

हिंदू धर्म में माँ काली को शक्ति, साहस और न्याय की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। वह माँ दुर्गा का उग्र रूप हैं — जो असत्य, अधर्म, अन्याय और अंधकार का नाश करती हैं। काली माँ का स्वरूप भयमुक्ति का प्रतीक है। वे दिखने में भले ही उग्र हों, पर उनका हृदय करुणामयी और प्रेम से भरा हुआ है।

माँ काली की पूजा विशेष रूप से अमावस्या की रात्रि, काली चौदस, और दीपावली के समय की जाती है। बंगाल, असम, ओडिशा और नेपाल में काली पूजा बड़े ही भव्य रूप से मनाई जाती है। भक्त मानते हैं कि माँ काली की आराधना से भय, नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु और रोगों का नाश होता है, तथा आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।

पश्चीम बंगाल के नैहाटी की प्रसिध बोरो माँ

माँ काली का महत्व

माँ काली का अर्थ ही है — “काला” अर्थात् समय”। वे समय की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो सृष्टि के प्रत्येक क्षण पर शासन करती हैं।

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  • वे दुष्टता और अज्ञानता का विनाश करती हैं।
  • वे भक्तों को अन्याय से रक्षा प्रदान करती हैं।
  • वे अहंकार और मोह का नाश कर, आत्मज्ञान की ज्योति जगाती हैं।
  • उनके चरणों में भय और बंधन समाप्त होकर मुक्ति का मार्ग खुलता है।

माँ काली का रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में नकारात्मकता से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसका सामना कर उसे समाप्त करना चाहिए।

🕯️ ॥ माँ काली आरती ॥

जय अम्बे गौरी, मईया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी…॥

माँ काली जय काली, कराल मुख वाली।
शरण पड़ी हूँ मैं तेरी, चरणों की दासी॥
जय अम्बे गौरी…॥

खप्पर हाथ लिये, त्रिशूल धर धारन।
दुष्ट दलन करि, राखो माँ अपने चरण॥
जय अम्बे गौरी…॥

रक्त वस्त्र तन पर शोभित, मुण्डमाला धारी।
भक्तन के संकट हरती, करुणा नित भारी॥
जय अम्बे गौरी…॥

शिव के ऊपर नाचत, सब जग को डरावै।
भूत, प्रेत, पिशाच निकट नहिं आवै॥
जय अम्बे गौरी…॥

तू ही ब्रह्म स्वरूपा, तू ही शक्ति धारा।
तू ही कण-कण में बसती, माँ तू ही सहारा॥
जय अम्बे गौरी…॥

तेरे नाम का जाप करे जो मन से सच्चा।
उसका हर कष्ट मिटे, होवे सुख सच्चा॥
जय अम्बे गौरी…॥

सिंह पर आरूढ़ हो, चली भवानी माता।
संसार की रक्षा हेतु, किया रूप अनोखा॥
जय अम्बे गौरी…॥

जो कोई तेरा नाम जपे, उसका हो उद्धार।
माँ काली कृपा करे, मिटे पाप भार॥
जय अम्बे गौरी…॥

आरती का फल

जो भक्त सच्चे मन से माँ काली की आरती करता है, उसे किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता। उसके जीवन से अंधकार मिटकर उजाला छा जाता है। माँ अपने भक्तों को संकटों से पार लगाती हैं और उन्हें आत्मशक्ति का वरदान देती हैं।

संक्षेप में

माँ काली की पूजा केवल भय से मुक्ति के लिए नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, साहस और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा के लिए की जाती है।
उनका स्मरण हमें यह सिखाता है कि जब जीवन में अंधकार छा जाए, तब भीतर की “काली शक्ति” को जगाकर हमें अपने भय का नाश करना चाहिए।

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