
कार्तिक पूर्णिमा का परिचय
कार्तिक पूर्णिमा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष, कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर, 2024 को आएगी। यह दिन न केवल चंद्रमा की सुंदरता को दर्शाता है, बल्कि कई धार्मिक कर्मकांड और अनुष्ठानों का भी हिस्सा है।
Kartik Purnima (Hindi: कार्तिक पूर्णिमा, Gujarati: કારતક સુદ પૂર્ણિમા, Tamil:கார்த்திகை பூர்ணிமா, Telugu: కార్తీక పౌర్ణమి) or Kartika Purnima सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहारों में से एक है जो मनाया जाता है। Purnima tithi परंपरा के अनुसार कार्तिक माह में (पूर्णिमा का दिन)। Hindu calendar. अंग्रेजी कैलेंडर का पालन करने वालों के लिए यह तारीख अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच आती है।
कार्तिक माह को हिंदू चंद्र कैलेंडर में सबसे पवित्र महीना माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ या ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह त्रिपुसार नामक राक्षस पर भगवान शिव की विजय का स्मरण कराती है। जब यह पवित्र दिन ‘कृत्तिका’ नक्षत्र में पड़ता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है और इसे ‘महा कार्तिक’ के नाम से जाना जाता है।
आज कार्तिक पूर्णिमा है
आज की कार्तिक पूर्णिमा तिथि का समय: 15 नवंबर, सुबह 6:19 बजे – 16 नवंबर, सुबह 2:58 बजे तक
कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार धार्मिक रुझानों के बावजूद पूरे भारत में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हिंदू मानते हैं कि ‘स्नान’ (स्नान अनुष्ठान) करना और अपने देवी-देवताओं की पूजा करना शुभ है। कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है Dev Diwali, देवी-देवताओं की दिवाली। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन हिंदू देवता पवित्र नदियों में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, और इसलिए पवित्र स्नान करने से, भक्तों को सभी देवताओं का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जैन धर्म के अनुयायी इस दिन को ‘जैन प्रकाश महोत्सव’ के रूप में मनाते हैं। सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, कार्तिक पूर्णिमा का दिन गुरु नानक देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व.
तमिलनाडु में इस दिन को के रूप में मनाया जाता है Aippasi Purnima, तमिल महीने अइप्पासी की पूर्णिमा।
कार्तिक पूर्णिमा के दौरान अनुष्ठान:
कार्तिक पूर्णिमा पर, हिंदू अनुयायियों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थानों पर स्नान करने का विधान है। इस पवित्र स्नान को कहा जाता है Kartik Snan और इस अनुष्ठान के लिए चुने गए स्थान वाराणसी और प्रयाग हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर कार्तिक स्नान अनुष्ठान सुबह सूर्योदय और शाम को चंद्रोदय के समय किया जाता है।
इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। भगवान की मूर्ति की पूजा फूलों, अगरबत्ती और दीपक से की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सभी चिंताओं का अंत हो सकता है और भक्तों को शांतिपूर्ण और खुशहाल जीवन प्रदान किया जा सकता है। इस दिन किसी भी प्रकार की हिंसा पूर्णतः वर्जित होती है।
कुछ भक्त कार्तिक पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को ‘सत्यनारायण व्रत’ के नाम से जाना जाता है और इसमें ‘सत्यनारायण कथा’ का पाठ किया जाता है।
बाद Maha Shivratri त्रिपुरी पूर्णिमा का दिन भगवान शिव के अनुयायियों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। भक्त अपने घरों में भी ‘रुद्राभिषेक’ करते हैं। इस दिन भगवान शिव के मंदिरों पर रोशनी की जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर दान देना भी प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीप दान करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन वैदिक मंत्रों और भजनों का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का दिन तुलसी विवाह के उत्सव का भी प्रतीक है। इस दिन देवी वृंदा (तुलसी के पौधे) के साथ भगवान विष्णु का विवाह समारोह बड़े धूमधाम और शो के साथ मनाया जाता है।
इस दिन भव्य पुष्कर मेला या मेला समाप्त हो जाता है, जिसका अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। भक्त मोक्ष की प्राप्ति के लिए पुष्कर झील में पवित्र स्नान करते हैं। इस दिन तीन पुष्कर की परिक्रमा करना अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा का दिन, हिंदू धर्म अनुयायियों के लिए अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। चातुर्मास की अवधि समाप्त होने के बाद इसी दिन से भगवान विष्णु शयन प्रारम्भ करते हैं। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार यह भी ज्ञात है कि इस दिन ही भगवान विष्णु ने ‘मत्स्य’ (मछली रूप) के रूप में अवतार लिया था और इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को श्री हरि विष्णु के मत्स्यावतार के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार भाग्य का लाभ होता है। कार्तिक पूर्णिमा को वृंदा (तुलसी के पौधे) के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन औपचारिक तुलसी विवाह भी किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन इतना शुभ होता है कि इस दिन किया गया कोई भी धार्मिक कार्य कई गुना लाभ देता है। इस दिन पूजा, दान या स्नान करना 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर है। यह उचित ही कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करती है।

इस दिन का धार्मिक महत्व
इस दिन विशेष रूप से तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुन, सरस्वती और अन्य नदियों में स्नान करने से पापों का शोधन होता है। कई लोग इस दिन पूजा-पाठ करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति पहुँचाने के लिए तर्पण करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा और समाज
कार्तिक पूर्णिमा का समाज में भी महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर दीप जलाते हैं और शुभकामनाएँ साझा करते हैं। यह त्यौहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भाईचारे और सामुदायिक एकता को भी प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा 2024 एक ऐसा अवसर है जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहता है।