जिस प्रकार पूरे भारतवर्ष में जन्माष्टमी श्री कृष्ण जी के जन्म के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार से भारत के कई राज्यों में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री राधा रानी के भी जन्मोत्सव को धूम धाम से मनाया जाता है। खास कर बृंदावन , मथुरा जैसी जगहों पर राधा अष्टमी मनाई जाती है ।
तिथि: 31 अगस्त 2025, रविवार
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 30 अगस्त रात 11:57 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 31 अगस्त रात 09:55 बजे
राधा अष्टमी का महत्व
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री राधारानी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। राधारानी श्रीकृष्ण की अनंत शक्ति और प्रेम का सर्वोच्च स्वरूप मानी जाती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीकृष्ण का नाम भी तब तक अधूरा है जब तक उसके साथ राधा का नाम न लिया जाए। यही कारण है कि भक्त “राधे-राधे” जपकर ही कृष्ण के सच्चे सान्निध्य को प्राप्त करते हैं।
राधारानी का जन्म
श्री राधारानी का जन्म वृंदावन के समीप बरसाना में वृषभानु जी और माता कीर्ति के घर हुआ था। कहते हैं कि वे जन्म से ही अलौकिक तेज और अद्वितीय सौंदर्य से युक्त थीं। राधा केवल श्रीकृष्ण की प्रेयसी ही नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और निष्काम प्रेम की प्रतीक भी हैं।
कहाँ मनाई जाती है राधा अष्टमी धूमधाम से
बरसाना: राधारानी की जन्मभूमि बरसाना में राधा अष्टमी का उत्सव सबसे भव्य रूप से मनाया जाता है। श्रीजी मंदिर में झांकियां सजाई जाती हैं, फूलों की वर्षा होती है और नगर “राधे-राधे” के जयकारों से गूंज उठता है।
वृंदावन और मथुरा: यहाँ के बांके बिहारी मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर में विशेष सजावट और रासलीला का आयोजन होता है। भक्तजन दिन-रात भजन-कीर्तन और संकीर्तन में लीन रहते हैं।
इस्कॉन मंदिर: भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस दिन इस्कॉन मंदिरों में कीर्तन, प्रवचन और भोग अर्पण कर राधा अष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है।
राधा अष्टमी की पूजा-विधि
इस दिन भक्त प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं। राधारानी का गंध, पुष्प, धूप, दीप और मिष्ठान्न से पूजन किया जाता है। दिन भर राधा-कृष्ण के भजन गाए जाते हैं और नाम-स्मरण किया जाता है। संध्या समय मंदिरों में विशेष आरती और झांकियों का दर्शन करने का भी विशेष महत्व है।
निष्कर्ष
राधा अष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें भक्ति और प्रेम के शुद्धतम रूप का संदेश देती है। राधारानी का जीवन हमें यह सिखाता है कि ईश्वर को पाने का सबसे सरल मार्ग है — सच्चा, निर्मल और निष्काम प्रेम।