📅 तिथि: 25 अगस्त 2025, दिन सोमवार
🗓 हिन्दू पंचांग अनुसार: भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, तृतीया तिथि
वराह जयंती क्या है?
वराह जयंती भगवान विष्णु के तीसरे अवतार “वराह अवतार” की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। यह पर्व इस विश्वास का प्रतीक है कि जब-जब धर्म संकट में आता है, भगवान स्वयं अवतार लेकर उसकी रक्षा करते हैं। वराह अवतार में भगवान विष्णु ने विशाल वराह (सूअर) का रूप धारण कर पृथ्वी माता को सागर के गर्भ से निकालकर पुनः जीवन दिया।
वराह अवतार का जन्म कैसे हुआ?
पुराणों के अनुसार, सतयुग में एक बार दैत्यराज हिरण्याक्ष ने अपनी मायावी शक्ति से पृथ्वी को अपहृत कर उसे ब्रह्मांडीय सागर (गरभोदक सागर) में डुबो दिया। इस संकट से सृष्टि नष्ट होने लगी और समस्त प्राणी भयभीत हो गए।
सृष्टि के रक्षक भगवान विष्णु ने तभी अपने नासिका से एक छोटे से वराह के आकार का जीव उत्पन्न किया। यह वराह रूप कुछ ही क्षणों में पर्वत के समान विशाल हो गया, उसके दाँत हिमालय की तरह उज्ज्वल और उसकी गर्जना से तीनों लोक काँप उठे।
भगवान वराह ने समुद्र में गोता लगाकर हिरण्याक्ष से भयंकर युद्ध किया, उसका वध किया और पृथ्वी माता को अपने दाँतों पर उठाकर जल से बाहर लाकर पुनः ब्रह्मांडीय स्थान पर स्थापित किया।
वराह अवतार के उद्देश्य
1. पृथ्वी माता की रक्षा करना – सृष्टि को विनाश से बचाना।
2. अधर्म का अंत – राक्षस हिरण्याक्ष का वध करना।
3. धर्म की स्थापना – न्याय, सत्य और धर्म का संरक्षण।
4. प्रकृति और जीवन चक्र की रक्षा – यह संदेश कि पृथ्वी और प्रकृति की रक्षा मानव का भी कर्तव्य है।
वराह जयंती का महत्व
यह पर्व सिखाता है कि चाहे संकट कितना भी गहरा क्यों न हो, भगवान अपने भक्तों की रक्षा अवश्य करते हैं।
यह प्रकृति और पृथ्वी के संरक्षण का दैवीय संदेश देता है।
वराह अवतार यह भी दर्शाता है कि धर्म और सत्य अंततः अधर्म पर विजय प्राप्त करते हैं।
पूजन विधि
व्रत और स्नान: प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा: शुद्ध आसन पर भगवान वराह और लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजा करें।
मंत्र जाप: “ॐ वराहाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
कथा श्रवण: वराह अवतार की कथा सुनना या सुनाना पुण्यकारी होता है।
दान-पुण्य: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करें।
आध्यात्मिक संदेश
वराह जयंती हमें यह सिखाती है कि प्रकृति हमारी माता है, उसकी रक्षा करना हमारा धर्म है। जब अन्याय और अधर्म बढ़ता है, तो हमें साहस के साथ उसका सामना करना चाहिए, जैसे भगवान विष्णु ने वराह रूप में किया।